मेरी पसंद के भजन - 2

देखो री एक बाला जोगी (प्रभाती)...


देखो री एक बाला जोगी, द्वारे मेरे आयो री

बाघम्बर को ओढ़ दुशाला, शेषनाग लिपटायो री ।
माथे वाके तिलक चंद्रमा, जोगी जटा बढ़ायो री ।।

ले भिक्षा नन्दरानी निकसीं, मोतियन थाल भरायो री ।
जा जोगी अपने आश्रम कूँ, मेरो लाल डरायो री ।।

ना चहिये तेरा हीरा-मोती, ना चहिये धन-माया री ।
तेरे लाल को दरस करा दे, कासी तें चल आयो री ।।

ले बालक निकसी नन्दरानी, जोगी दरसन पायो री ।
सात बेर परकम्मा कीनी, सींगी नाद बजायो री ।।।

'सूरदास' गौलोक धाम में, धन्य जसोदा माई री ।
तीन को करता-हरता, तेरी गोद में आयो री ।।

मैं तो गोवर्धन कूँ जाऊँ मेरी बीर ...


मैं तो गोवर्धन कूँ जाऊँ मेरी बीर, नाय माने मेरो मनवा ।।

नॉंय चाहिये मोहे पार पड़ोसन ।
मैं तो इकली-दुकली धाऊँ मेरी बीर ।।

सात कोस की देऊँ परकम्मा ।
मैं तो शांतनु कुंड नहाऊँ मेरी बीर ।।

चकलेश्वर के दरसन करके ।
मैं तो मानसी गंगा न्हाऊं मेरी बीर ।।

सात सेर की करी कढ़ैया ।
मैं तो सन्तन न्यौंत जिमाऊँ मेरी बीर ।।

गिरी गोवर्धन देव हमारो ।
मैं तो पल-पल सीस नवाऊँ मेरी बीर ।।

प्रेम सहित गिरीराज पुजाऊँ ।
मैं तो मनवांछित फल पाऊं मेरी बीर ।।

ओ रसिया मेरे रमण बिहारी ...


ओ रसिया मेरे रमण बिहारी ।
तेरी शोभा है सबसे न्यारी, (ये) कि दिल करे देखता रहूँ ।।

टेढ़ी पाग धरी सिर ऊपर, मोर पंख लहराए ।
कानों में मकराकृत कुण्डल, अद्भुत शोभा पाये ।
झूले गालों पे लट घुंघरारी, कि दिल करे देखता रहूँ ।।

नील कमल सा खिलता मुखड़ा, अरूण कमल से नैना ।
अधरों पे छाई रहे मुसकन, हाए नज़र लगे ना ।
प्रितम तो पै मैं बलिहारी, कि दिल करे देखता रहूँ ।।

कर मुरली गल माल बिराजे, और पीला पीताम्बर ।
...
...


वो काला एक बांसुरी वाला ...(अनूप जालोटा)


वो काला एक बांसुरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरी रे ।
माखन चोर जो नन्दकिशोरी वो,
कर गयो मन की चोरी रे ।।

पनघट पे मोरी बैंयां मरोड़ी,
मैं बोली तो मेरी मटकी फोड़ी ।
पैंयां पडूँ करूँ विनती मैं पर,
माने ना इक वो मोरी रे ... ...

छुप गयो फिर एक तान सुना के,
कहॉं गयो इक बाण चला के ।
गोकुल ढूंढा मैंने मथुरा ढूंढी,
कोई नगरिया ना छोड़ी रे ... ...

तू प्यार का सागर है ...


तू प्यार का सागर है, तेरी इक बूँद के प्यासे हम ।
लौटा जो दिया तूने, चले जायेंगे जहाँ से हम ।।

घायल मन का पागल पंछी, उड़ने को बेक़रार ।
पंख हैं कोमल ऑंख है धुंधली, जाना है सागर पार ।
अब तू ही इसे समझा, राह भूले थे कहॉं से हम ।।

इधर झूम के गाये जि़न्दगी, उधर है मौत खड़ी ।
कोई क्या जाने कहॉं है सीमा, उलझन आन पड़ी ।
कानों में ज़रा कह दे, के आएं कौन दिशा से हम ।।

एै मालिक तेरे बन्दे हम ...


एै मालिक तेरे बन्दे हम, ऐसे हों हमारे करम ।
नेकी पर चलें और बदी से टलें, ताकि हँसते हुए निकले दम ।।

ये अँधेरा घना छा रहा, तेरा इंसान घबरा रहा ।
हो रहा बेखबर, कुछ ना आता नज़र, सुख का सूरज छुपा जा रहा ।
है तेरी रोशनी में जो दम, तो अमावस को कर दे पूनम ।।

बड़ा कमज़ोर है आदमी, अभी लाखों हैं इसमें कमी ।
पssर तू जो खड़ा, है दयालु बड़ा, तेरी किरपा से धरती थमी ।
दिया तूने हमें जब जनम, तू ही झेलेगा हम सब के ग़म ।।

जब ज़ल्‍मों का हो सामना, तब तू ही हमें थामना ।
वो बुराई करें, हम भलाई करें, नहीं बदले की हो भावना ।
बढ़ उठे प्यार का हर कदम, और मिटे बैर का ये भरम ।।


अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाय जा ...


अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाय जा,
मोर मुकुट वारे, घुंघरारी लट वारे ।।

तुम बिन मोहन, चैन पड़े ना ।
नैंनों से उलझाएं नैनां
मेरी अंखियन बीच समाय जा ।। ...

बेदरदी तोहे दरद ना आवे ।
काsहे जले पे लौन लगावे
आजा प्रीत की रीत निभाय जा ।। ...

बांसुरी अधरन धार मुसकावे ।
घायल कर क्यूँ नैन चुरावे
आजा श्याम पिया आजा आय जा ।। ...

काहे तो संग प्रीत लगाई ।
निष्‍ठुर निकला तू हरजाई
लागा प्रीत का रोग मिटाय जा ।। ...

टेढ़ी तोरी लकुटी कमरिया ।
टेढ़ो तू चितचोर साँवरिया
टेढ़ी नज़रों के तीर चलाय जा ।। ...

बंसी बजाय गयो री ...


बंसी बजाय गयो री, मन मोहन नन्दलाला ।।

आय अचानक आंगन ठाड़ो, संग लिये बहु ग्वाला ।
चितवन में मोहि रस बस कीनी, भई बिकल बेहाला ।
नैन समाय गयो री, नटवर मदन गुपाला ।। बंसी ....

सांवरी सूरत मोहिनी मूरत, चंचल नैन विशाला ।
गावत तान बान ज्‍यों लागी, चुभी कलेजे भाला ।
दरस दिखाय गयो री, कारी कमली वाला ।। बंसी ....

बांकी झांकी अजब अदा की, मद गज की सी चाला ।
झुक-झुक झांक झकोरन ओरी, मोकों दे गयो झाला ।
लगन लगाय गयो री, चित तें टले न टाला ।। बंसी ....

जो कोई मोकों आन मिलावे, जसुदाजी को बाला ।
'सरस माधुरी' गुण नहीं भूलूँ, निसदिन फेरूं माला ।
जिय में समाय गयो री, श्रीमत कृष्ण कृपाला ।। बंसी ....

श्री कृष्ण शिरोमणि श्रीराधा ...


श्रीराधा वाधा हरन, रसिकन जीवन भूरि ।।
जनम जनम वर मागहूँ श्रीपद पंकज धूरि ।।

श्री कृष्ण शिरोमणि श्रीराधा, जय श्याम सजीवनि श्रीराधा ।
जय रास विलासिनी श्रीराधा, नित कुंज निवासिनी श्रीराधा ।।1।।
वृन्दावन रानी श्रीराधा, मोहन मन मानी श्रीराधा ।
ब्रजचन्द्र चकोरी श्रीराधा, वृषभानु किशोरी श्रीराधा ।।2।।
जय नित्य विहारिणी श्रीराधा, ब्रज सुख विस्तारिणी श्रीराधा ।
रसिकन की स्वामिनी श्रीराधा, करूणानिधी नामिनी श्रीराधा।।3।।
अनुराग सुवेली श्रीराधा, सौभाग्य नवेली श्रीराधा ।
आनन्द रसायनि श्रीराधा, प्रीतम सुखदायनि श्रीराधा ।।4।।
त्रिभुवन ठकुरायनि श्रीराधा, गोविन्द गोसायनि श्रीराधा ।
कमनीय कुमारी श्रीराधा, हरिबल्लभ प्यारी श्रीराधा ।।5।।
मंगल की मूरति श्रीराधा, ब्रजजन सुख पूरति श्रीराधा ।
जय नख चन्द्रावलि श्रीराधा, प्रीतम प्रेमावलि श्रीराधा ।।6।।
गोपाल उपासिनी श्रीराधा, वृन्दावन वासिनी श्रीराधा ।
ललितादिक प्यारी श्रीराधा, अति रूप उजारी श्रीराधा ।।7।।
नट नागर भामा श्रीराधा, परिपूरण कामा श्रीराधा ।
रामा अभिरामा श्रीराधा, श्यामा सुखधामा श्रीराधा ।।8।।
ब्रज जीवन जीवनि श्रीराधा, निरवधि रस पोवनि श्रीराधा ।
गोपी चूड़ामणि श्रीराधा, सुषमा महिमा मनि श्रीराधा ।।9।।
चैतन्य सुरंगनि श्रीराधा, गौरांग सुअंगनि श्रीराधा ।
श्री रूप सनानत श्रीराधा, हरिराम आनंदघन श्रीराधा ।।10।।

राधा नाम की माधुरी, रटे प्रात: घौं शाम ।
श्यामदास श्यामा चरण, शरण लहत ब्रजधाम ।।


बंसी वाले के चरणों में सर हो मेरा ...


बंसी वाले के चरणों में सर हो मेरा, फिर न पूछो के उस वक्त क्या बात है ।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा, फिर न पूछो के कैसी मुलाकात है ।।

ये ना चाहूँ कि मुझको खुदाई मिले, ये न चाहूँ मुझे बादशाही मिले ।
खा़क दर की मिले ये मुकद्दर मेरा, इससे बढ़कर बताओ क्या सौगात है ।। बंसी ....

हो गुलामी अगर आली दरबार की, ये खुदाई भी है बादशाही भी है ।
दासी दर की भिखारिन बने जिस घड़ी, इससे बढ़कर बताओ कि क्‍या बात है ।। बंसी ....


कुंवर किशोरी चली आयें ...


कुंवर किशोरी चली आयें, कुंवर किशोरी चली आयें ।
कैसे शोभा बरणूं मैं हाये, कुंवर किशोरी चली आयें ।।

गौर बरन तन नीलि चुनरिया, बादर ओट में जैसे बिजुरिया ।
मंद मंद मुसकायें ।। कुंवर किशोरी चली आयें....

प्रेम सुधा छलके नैनन सों, अलबेली के दोउ नैनन सों ।
करूणा रस बरसायें ।। कुवर किशोरी चली आयें ....


श्यामाजु मेरी नैया ...


श्यामाजु मेरी नैया, उस पार लगा देना ।
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना ।।

दल बल के साथ माया, घेरे जो मुझे आकर ।
तुम देखती ना रहना, झट आ के बचा लेना ।। श्यामाजु मेरी ... ...

संभव है झंझटों में, मैं तुमको भूल जाऊं ।
मेरीश्यामा कहीं तुम भी, मुझको ना भुला देना ।। श्यामाजु मेरी ... ...

बनकर के मोर श्यामा, पग-पग पर नाचेंगे ।
तुम श्याम रूप बनकर, उस बन में रहा करना ।। श्यामाजु मेरी ... ...

बनकर के पपीहा हम, पी-पी रटा करेंगे ।
तुम स्वाति बूंद बनकर, हम सब पे कृपा करना ।। श्यामाजु मेरी ... ...


मैं तो सोय रही सपने में ... (होरी)


मैं तो सोय रही सपने में, मो पै रंग डार्यो नंदलाल ।

सपने में मेरे आये बनवारी ।
फेंट गुलाल हाथ पिचकारी ।
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, वाके गल वैजंती माल ।। मैं तो सोय ... ...

खेंच दई मेरे तन पिचकारी ।
भीज गई मेरी पचरंग सारी ।
मैं तो मरी लाज की मारी, और वो नाचै दे-दै ताल ।। मैं तो सोय ... ...

मैं भाजी पीताम्बर पकड्यो ।
बीच में मो तैं मनसुखा अकड्यो ।
मच्यो झगड़ो मेरे आंगन मांय, ये तो फागुन रंग रसाल ।। मैं तो सोय ... ...

बृज की होरी जग तें न्यारी ।
बार बार जाऊं बलिहारी ।
ब्रजबासिन की लीला न्यारी, गावैं नये नवेले ख्याल ।। मैं तो सोय ... ...


म्हारी चूनरी बसंती रंगा दे ... ...


म्हारी चूनरी बसंती रंगा दे म्हारा सांवरिया ।
मैं होली कैयां खेलूं जी ।।

घर से चलकर मधुबन आई, संगकी सहेल्यां म्हारी संग ल्याई ।
ओ म्हानै रंग का माट भरा दे म्हारा सांवरिया ।। मैं होली ... ...

फाग खिलाउँ राधे आनन्दकारी, सांचो रूप थांरी शोभा न्यारी ।
ओ म्हानै पायलियां री तान सुणाद्यो राधा प्यारी जी ।। मैं होली ... ...

मैं तो जाणूं म्हारै सनमुख बोलै, म्हारो हिवड़ो डगमग डोलै ।
ओ म्हानै सांवरी सुरतिया दिखा दे म्हारा सांवरिया ।। मैं होली ... ...

श्री राधे म्हारै मन में समाई, ज्यूं म्हें म्हारी खोई दौलत पाई ।
ओ म्हारै हिवड़ा सूं धुंघटियो हटाद्यो राधा प्यारी जी ।। मैं होली ... ...

मान मान म्हारी बात कन्हाई, जीव ब्रह्म की जोड़ी बणाई ।
ओ थारै 'सत्य' चरण चित ल्यादे म्हारा सांवरिया ।। मैं होली ... ...


परि गयो आज सखिन के फंद ... ...


परि गयो आज सखिन के फंद ।
छैल ये तो छलिया नन्द किशोर ।।

बनठन के आयो बनवारी, फेंट गुलाल हाथ पिचकारी ।
बांधे पाग फाग मदमाती, गलिन मचावत शोर ।। परि गयो ... ...

चढ़ीं सखी सब महल अटारी, तकि-तकि कै मारैं पिचकारी ।
गली रंगीली नाकाबन्दी, कर दई चारों ओर ।। परि गयो ... ...

बरस्यो रंग भये सब गीले, मुंह भये लाल वसन भये पीले ।
लठियां लै लै ठाड़ी भई सखी, अपनी अपनी पोर ।। परि गयो ... ...

छीन लियो सखियन ने झंडा, देन लगीं ऊपर तें डण्डा ।
ढाल लिेए उछलें मेंढक ज्यूं, चले न नेकहूं जोर ।। परि गयो ... ...

अबलौं कीन्‍हें बहुत अचगरी, फंस गये आज लली की नगरी ।
गगरी नहीं आज सखियन सर, जो भागोगे फोर ।। परि गयो ... ...

पकड़ लिेए सब कृष्ण मुरारी, झपट बनाये नर ते नारी ।
हा हा खात लली के चरणनि, कान पकड़ कर जोर ।। परि गयो ... ...

जो आनंद मच्यो बरसाने, 'नारायण' किमि ताहि बखाने ।
लाल लाडि़ली जेहि दिशि है रे, कृपा कंज दृग कोर ।। परि गयो ... ...


तेरा दीदार क्यूँ नहीं होता ... ...


तेरा दीदार क्यूँ नहीं होता ।
मुझपे उपकार क्यूँ नहीं होता ।।

मैं गुनहगार फिर भी तेरा हूँ ।
तुझको एतबार क्यूँ नहीं होता ।।

लाखों पापी तूने तार दिये ।
मेरा उद्धार क्यूँ नहीं होता ।।

तेरी चौखट पे जो मैंने किया ।
सजदा स्वीकार क्यूँ नहीं होता ।।

तेरे ऑंचल में छुप के रो लेता ।
ऐसा इक बार क्यूँ नहीं होता ।।

तेरी रहमत की चार बूंदों का ।
दास हकदार क्यूँ नहीं होता ।।


तेरा दर्श पाने को जी चाहता है ... ...


तेरा दर्श पाने को जी चाहता है ।
खुदी को मिटाने को जी चाहता है ।।

पिला दो मुझे श्याम, ये मस्ती के प्याले ।
कि मस्ती में आने को, जी चाहता है ।।

उठे श्याम तेरे, मुहब्बत का दरिया ।
मेरा डूब जाने को, जी चाहता है ।।

ये दुनिया हैssss इक, नजर का धोखा ।
इसे ठुकराने का, जी चाहता है ।।

ग़मे इश्क देकर, जुदा करने वाले ।
तेरे पास आने को, जी चाहता है ।।

तेरी ठुकराओ मेरी, फरियाद अब तुम।
तुझी में समाने का, जी चाहता है ।।


राधा रमण हमारे ... ...


राधा रमण हमारे, लगे प्राणों से भी प्यारे ।
भक्तों के प्राण जीवन, बेसहारों के सहारे ।।

ऐसा रूप है मनोहर, जैसे प्रेम का सरोवर ।
डूबे जो इस भँवर में, उसे कौन फिर उबारे ।।

हर इक अदा निराली, जैसे कोई इंद्रजाली ।
हँस-हँस के चैन लूटे, और दिल पे डाका डारे ।।

राधा रमण रंगीले, तेरे बोल हैं रसीले ।
तेरे नैन हैं नशीले, मस्‍ती भरे इशारे ।।

राधा रमण मैं गाऊँ, राधा रमण रिझाऊँ ।
बलिहारी उसके जाऊँ, जो राधा रमण पुकारे ।।

राधा रमण बिहारी, मानो विनय हमारी ।
कटे जिंदगी ये सारी, प्रभु आपके ही द्वारे ।।


कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी ... ...


कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी ।
तो सूनी ही रहती, अदालत तुम्हारी ।।

जो दीनों के दिल में, जगह तुम न पाते ।
तो किस दिल में होती, हिफाजत तुम्हारी ।।

गरीबों की दुनिया, आबाद तुमसे ।
गरीबों से ही बादशाहत तुम्हारी ।।

ना मुलजिम ही होते, न तुम होते हाकिम ।
न घर घर में होती, इबादत तुम्हारी ।।

तुम्हारी ही उल्फत के दृग 'बिन्दु' हैं ये ।
तुम्हें सौंपते हैं, अमानत तुम्हारी ।।


दशा मुझ दीन की भगवन ... ...


दशा मुझ दीन की भगवन, सम्हालोगे तो क्या होगा ।
अगर चरणों की सेवा में, लगा लोगे तो क्या होगा ।।

नामी पातकी मैं हूँ, नामी पाप हर तुम हो ।
जो लज्जा दोनों नामों की, बचा लोगे तो क्या होगा ।।

जिन्होंने तुमको करूणाकर पतित पावन बनाया है ।
उन्हीं पतितों को तुम, पावन बना लोगे तो क्या होगा ।।

यहॉं सब मुझसे कहते हैं, तू मेरा है तू मेरा है ।
मैं किसका हूँ ये झगड़ा तुम, चुका लोगे तो क्या होगा ।।

अजामिल, गीध, गनिका जिस दया गंगा में तरते हैं ।
उसी में 'बिन्दु' सा पापी मिला लोगे तो क्या होगा ।।